वानी

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राहुल की जमीन

चैप्टर 34 राहुल की जमीन

अब तक आपने पढ़ा सब सच जानने के बाद अपने कमरे में चले जाते हैं शौर्य राहुल से कहता है की वो चाहे तो उसे डैड बोल सकता है राहुल को समझाता है और उसे रूम से चला जाता है तो रिहान कहता है


अब आगे

शौर्य राहुल को रेस्ट करने के लिए केहकर चला जाता है उसके जाते ही रिहान राहुल से कहता है "तु ठीक है ना"

फिर अपनी नम आंखों से उसे देखते हुए कहता है "वो गलती नही कर सकती राहुल , और गलत मिस्टर सिंघानिया भी नही हैं याद है प्रिंसीमा हमे लेकर शिमला जा रही थी ,अगर वो ऐसा नही करते तो... "

राहुल उसकी बात बीच मे काटते हुए कहता है "गलत वो दोनो नही मेरी किस्मत है, अगर मै नही होता तो सब ठीक होता"

तभी पीछे से आवाज़ आती है "सही कहा" दोनो पीछे मुड़ कर देखते हैं तो वहाँ सिद्धार्थ खडा था, वो दोनो के पास आता है और कहता है "तुम नही होते तो सही मे ये सब नही होता" फिर गुस्से मे कहता है "दोनो ने अपनी जिंदगी खराब कर ली, तुम्हे बचाने के लिए और तुम ऐसा सोचते हो ,राहुल मै उसे जादा नही जनता लेकिन मै अपनी बहन को जनता हु इन सब मे ,किसी की कोई गलती नही है, जो हुआ बस हो गया मुझे लगता है तुमहे ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नही है सब ठीक हो जायेगा"

फिर उससे पूछता है "क्या तुम मेरे साथ चलोगे" सिद्धार्थ की बात सुन राहुल की आँखे नम हो जाती हैं और वो धीरे से कहता है "मै माँ के बिना नही रह सकता हु, क्या मै उनके साथ नही रह सकता"

सिद्धार्थ एक दर्द भरी मुस्कान के साथ कहता है "मै तुम्हे उसकी मर्ज़ी के बिना नही ले जा सकता हु" फिर वो उस, कमरे से चला जाता है राहुल बेड पर लेट जाता है और छत को देखने लगता है और धीरे धीरे उसे नींद आ जाती है...

सिद्धार्थ मीरा के कमरे की तरफ बढ़ जाता है.

"मीरा का कमरा"

मीरा चुप चाप सोफे पर बैठी थी तभी वहाँ शौर्य आ जाता है वो उसे दवाई देते हुए कहता है "सब ठीक है ,फिर भी आँखो मे डर क्यों है"

मीरा दवाई खा लेती है लेकिन कुछ नही कहती है शौर्य फिर पूछता है "क्या छुपा रही हो" मीरा एक लंबी सांस लेकर कहती है "आपको मै जैसी दिखती हु वैसी हु नही,उस दिन मैने अपना शहर और परिवार ही नही रूप भी खो दिया था" उसकी बात सुन शौर्य सीधा पूछता है "पूरी बात क्या है"

मीरा एक लंबी सांस लेती है और रूम का दरवाज़ा बंद कर देती है और अपनी शर्ट के बटन खोलने लगती है "हेल्प करिये मेरी"

शौर्य उसकी शर्ट उतार देता है और देखता है तो उसकी मुट्ठियाँ गुस्से मे बंध जाती है मीरा की पीठ पर राइट साइड जलने का निशान था शौर्य उस निशान को घूरते हुए कहता है "किसने किया" मीरा हल्की आवाज़ मे कहती है "उस दिन जब मै राहुल को लेकर भाग रही थी "

"महेंद्र के एक आदमी ने राहुल पर  तेज़ाब डालने की कोशिश की थी उसे बचाने के चक्कर मे मुझपे पड़ गए और मेरी पीठ जल गई,आप के पास सब कुछ है, आपको मुझसे शादी नही करनी चाहिए थी, मै आपके लायक नही हु आपको कुछ हासिल नही होगा, अभी भी वक़्त है, चले जाइये आपको मुझसे अच्छी लड़की मिल जायेगी" फिर मीरा खामोश हो जाती है

शौर्य उसके करीब आ जाता है और उसके उस जले हुए निशान पर अपने होंठ रख देता है उसकी इस हरकत से मीरा हैरान हो जाती है वो जैसे ही वहाँ से हटने की कोशिश करती है शौर्य उसके कंधे से पकड़ लेता है

"मै तुमसे प्यार करता हूँ, तुम्हारे जिस्म से नही,और जिसने ये किया उसे मै ऐसी मौत दूंगा की उसकी रूह तक काम्प् जायेगी" और वो मीरा को अपनी तरफ करके उसकी शर्ट पहनाने लगता है... मीरा उसके गले लग जाती है और उसकी आँखो मे आँसु आ जाते हैं.

वो रोते हुए कहती है "क्या मेरा बेटा मुझसे नफरत करने लगेगा" शौर्य जैसे ही कुछ कहने को हुआ की तभी दरवाज़े पर दस्तक होती है. शौर्य मीरा को सोफे पर बिठाता है और दरवाज़ा खोल देता है सामने सिद्धार्थ खडा था..

दोनो अंदर आते है सिद्धार्थ दरवाज़ा बंद कर देता और मीरा के सामने बेड पर बैठ जाता है और उसे "तुम और क्या छुपा रही हो बात सिर्फ इतनी नही है ,मै जहाँ तक याशवंत को जनता हु उसे राहुल को मारके कोई फायेदा नही है, इसलिए क्लीयर बताओ"

मीरा एक लंबी सांस लेती है और कहती है "वो दोनो राहुल को मारना चाहते थे लेकिन अब यशवंत उसे अपने धंधे मे लाना चाहता है, गैंगस्टर की दुनिया का बादशाह बनाना चाहता है ताकि वो उस दुनिया मे राज कर सके, जिस दिन राहुल इकिस साल का हो जायेगा तुम्हारी भोपाल की पचीस एकड़ की ज़मीन जो निकिता दी के नाम थी वो उसके नाम हो जायेगी, वो ज़मीन फैक्टरी डालने या किसी भी कंस्ट्रक्शं के काम के लिए बेहतर है दीदी उस ज़मीन पर एक अकैडमी खोलना चाहती थी जो गरीबो को फ्री एजुकेशन देने के लिए काम करती, लेकिन यशवंत और महेंद्र उस ज़मीन पर गैरकानूनी काम करना चाहते है जो दीदी को मंजूर नही इसलिए वो राहुल को ले जाना चाहते हैं" फिर वो खामोश हो जाती है

शौर्य कहता है "ठीक है उसे जो करना है करने दो" इस बार वो कुछ नही कर पायेगा"

फिर सिद्धार्थ को देखके कहता है "तु अपनी कंपनी इंडिया शिफ्ट कर ले" फिर कुछ सोच कर कहता है "बहुत तकलीफ दे दी उसने अब उसका हिसाब करने का वक़्त आ गया है " सिद्धार्थ अब भी खामोश था वो थोड़ी देर मीरा को घूरता है फिर कहता है "

"तुम्हारी उस्से कोई दुश्मनी नही थी, फिर भी तुम उसके रास्ते आ गई वो भी उनके लिए जिनसे तुम्हारा कोई रिश्ता भी नही है ,तुम शायद जानती नही हो, इस वक़्त अंडरवर्ल्ड का टार्गेट तुम हो क्योंकि यशवंत कोई आम गैंगस्टर नही है वो जितना दिखता है उससे कही जादा राज़ हैं उसके' और ,तुमने उससे उसके सपने उसकी ज़मीन सब छीन लिया, वो तुम्हे इतनी आसानी से नही छोड़ेगा" मीरा एक मुस्कान के साथ कहती है "मै उसे सब दे सकती हु लेकिन मेरी दीदी की अमानत कभी नही"

शौर्य - "और वो मेरी अमानत तक पहुंचे इतनी तो उसकी औकात भी नही है".

मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक के लिए बाय बाय

वानी #कहानीकार प्रतियोगिता

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